मां-बेटी से दुष्कर्म-हत्या मामले में दो को फांसी की सजा, जज ने कहा- समाज ऐसे लोगों को अपने बीच नहीं चाहता
काेटा । भीमगंजमंडी के बहुचर्चित मां-बेटी दुष्कर्म-लूट-हत्या के मामले में पाॅक्साे काेर्ट ने मंंगलवार काे नाैकर सहित दाे आराेपियाें काे दाेषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई। दाेनाें पर 80-80 हजार रुपए का जुर्माना भी किया है। विशिष्ट न्यायाधीश अजय कुमार शर्मा द्वितीय ने 172 पेज के अपने फैसले में कड़ी टिप्पणी करते हुए लिखा कि यह मामला समाज की सामूहिक चेतना से संबंधित है। आरोपियों द्वारा अपराध तब किया गया जब दो स्त्रियां अपने घर में अकेली थीं। आरोपियों ने फरियादी के के घर में रखी संपत्ति लूटी, बल्कि फरियादी की पोती से दुष्कर्म कर दोनों महिलाओं की जघन्य हत्या की।
इस प्रकार के अपराध से समाज का हर तबका सुरक्षा चाहता: न्यायाधीश
न्यायाधीश अजय कुमार शर्मा ने कहा कि यह अपराध व्यक्तिगत अपराध नहीं था, बल्कि ऐसे स्थान एवं इस प्रकृति से किया गया था जो कि पूरे समाज के लिए खतरा था। प्रत्येक परिवार में ऐसी स्थितियां होती हैं, जबकि घर के पुरुष सदस्य नौकरी पर अथवा काम पर बाहर होते हैं तथा महिलाएं सदस्य ही घर में अकेली होती हैं। इस प्रकार के अपराध से समाज का हर तबका सुरक्षा चाहता है। ऐसे दरिंदों को समाज कभी भी अपने बीच नहीं देखना चाहता और विधि का यह कर्तव्य है कि समाज के न्याय के लिए पुकार को सुना जाए।
आरोपियों द्वारा किया गया कृत्य जघन्य श्रेणी का है : न्यायाधीश
न्यायाधीश शर्मा ने फैसले में आगे लिखा कि हमारे मत में आरोपियों द्वारा किया गया कृत्य जघन्य श्रेणी का है, यदि आरोपियों को मृत्युदंड के अलावा और कोई भी सजा दी जाती है तो वह समाज के लिए गंभीर खतरा होगा। विशिष्ट न्यायाधीश अजय कुमार शर्मा ने फैसले में लिखा कि अाराेपियाें की सजा मृत्युदंड के संबंध में वारंट प्राप्त हाेने पर मृत्युदंड की पालना में आराेपियाें की गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए जब तक उनकी मृत्यु न हाे जाए। इस हत्याकांड के कारण अभिभाषक परिषद के अाह्वान पर वकीलाें ने इस मामले में अाराेपियाें की अाेर से पैरवी नहीं की। विधिक सहायता की अाेर से एड. मनाेज चांचाेदिया काे नियुक्त किया था।
काेर्ट रूम लाइव : निर्भया कांड की रूलिंग पेश की
महिला उत्पीड़न न्यायालय से यह प्रकरण जुलाई 2019 में न्यायालय पाेक्साे क्रम-चार में भेजा गया था। पुलिस ने इस प्रकरण काे केस अाॅफिसर स्कीम में लेकर कड़ी से कड़ी से जाेड़ने के लिए गवाहाें के बयान कराए गए। इस प्रकरण में भीमगंजमंडी थाने के तत्कालीन सीअाई श्रीचंद सिंह के पांच दिन तक बयान चले। विशिष्ट लाेक अभियोजक धीरेन्द्र सिंह चौधरी ने बताया कि निर्भया कांड, सीसीटीवी फुटेज एवं फिंगर प्रिंट सहित अन्य केसेज संबंधित रूलिंगाें काे काेर्ट में पेश की गई। महीने के कुछ-कुछ दिनाें काे छाेड़कर मामले में लगातार सुनवाई चलती रही।
घटना से सजा तक : कब क्या हुआ
- 31 जनवरी 2019 की घटना साढ़े 8 बजे के करीब
- 1 फरवरी 2019 को भीमगंजमंडी थाने में रिपोर्ट दर्ज 302, 460, 397 धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ
- 4 फरवरी 2019 को मस्तराम व लोकेश को गिरफ्तार किया
- 24 अप्रैल 2019 को कोर्ट में चालान पेश चालान में 376,34 धाराएं जोड़ीं (दुष्कर्म) 302,460,397,376,34 धारा
- 25 अप्रैल को केस डीजे कोर्ट में भेजा
- 18 दिसम्बर 2019 को गवाही पूरी हुई, 48 गवाहों के बयान दर्ज किए गए
- 22 जनवरी 2020 से अंतिम बहस शुरू हुई
- 28 जनवरी को अंतिम बहस पूरी हुई
- 18 फरवरी 2020 काे 172 पन्नों का फैसला सुनाया
मेरी जिंदगी का सबसे दर्दनाक केस था : जांच अधिकारी
तत्कालीन सीआई और मौके पर सबसे पहले पहुंचने वाले जांच अधिकारी श्रीचंद सिंह ने बताया कि, '' 31 जनवरी 2019 की रात को जब डबल मर्डर की सूचना आई मैं थाने के बाहर खड़ा था। सबसे पहले मौके पर गया और घर के फर्श पर खून से सनी मां-बेटी की लाशें देखकर मैं 5 मिनट तक खुद को संभाल नहीं सका। मेरे पर इतना प्रेशर था कि तीन दिनों तक बिना रोटी खाएं लगातार काम किया और घर जाकर सोया तक नहीं। यह केस मेरी जिंदगी का सबसे दर्दनाक केस था। हमने करीब 150 कैमरों को सर्च किया, 300 बदमाशों से पूछताछ की और अंत में बदमाश हमें बेवकूफ बनाने को तीसरे की बैठक में शामिल होने आया और खुद के बिछाएं जाल में खुद ही फंस गया। एसपी दीपक भार्गव के नेतृत्व में पुलिस ने जान झोंक दी थी। मैं अभी तक इस केस का पीछा कर रहा हूं.. अभी कुछ माह पहले ही अलग-अलग करीब 10 दिनों तक कोटा में रहकर कोर्ट की प्रोसेस पूरी करवाई है ताकि बदमाशों को फांसी की सजा तक ले जाया जा सके। ''